देहरादून

विधानसभा में बैक डोर से हुई भर्तियों को लेकर उत्तराखंड में बवाल मचा हुआ है , एक तरफ यूकेएसएसएससी UKSSSC पेपर लीक मामला और दूसरी तरफ कांग्रेस और भाजपा के शासनकाल में हुई विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर सरकार असहज दिखाई दे रही है, जिस तरह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अभी तक जांच की सिफारिश की है उससे यह लगता है कि बैक डोर से विधानसभा में हुई भर्तियां निरस्त की जा सकती हैं । 2016 में कांग्रेस सरकार के समय गोविंद सिंह कुंजवाल ने विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए 159 कर्मचारियों को भर्ती किया था ,जबकि भाजपा शासनकाल में विधानसभा अध्यक्ष रहे प्रेमचंद अग्रवाल ने 72 लोगों को बैक डोर से विधानसभा में नियुक्तियां दिलवाई ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा स्पीकर रितु खंडूरी को पत्र लिखकर इन भर्तियों की जांच की सिफारिश की थी इससे यह माना जा रहा है कि यह भर्तियां निरस्त की जा सकती हैं , विधानसभा में हुई इन भर्तियों में ज्यादातर वह कर्मचारी हैं जो नेताओं के करीबी लोग हैं , गोविंद सिंह कुंजवाल पर तो आरोप लगा कि उन्होंने अपने बेटा तथा बहू को विधानसभा में नियुक्ति दिलवाई उनके अलावा अन्य नेताओं के रिश्तेदार भी नौकरियों पर रखे गए यह भी बताया गया है कि बीजेपी सरकार के समय हुई 72 भर्तियों में वित्तीय संकट की बात भी कही गई थी बावजूद इसके इन लोगों को नियुक्ति दी गई । अब मुख्यमंत्री जिस तरह से इस पूरे मामले पर रुचि दिखा रहे हैं उससे लगता है कि दोनों सरकारों के समय हुई इन बैक डोर भर्तियों को निरस्त किया जाना तय है ।
