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प्रधानमंत्री मुद्रा लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, एक युवती समेत तीन लोग गिरफ्तार

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उत्तराखंड/देहरादून

 

उत्तराखंड एसटीएफ ने प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ कर एक युवती समेत तीन शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपि प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के तहत लोगों को लोन देने का झांसा दे रहे थे। गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों से एक लैपटॉप, 13 मोबाइल फोन, 06 पासबुक, चार सिमकार्ड बरामद किये गये हैं।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने बताया कि चार फरवरी को एसटीएफ को सूचना मिली कि देहरादून के सहस्रधारा रोड में अमित बिहार कॉलोनी के एक मकान में कुछ युवक व युवतियां प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के बारे में लोगों को फोन पर रहे हैं। वे योजना का लाभ देकर लोन लेने के लिए कह रहे हैं। साथ ही उनसे इंश्योरेंस के तौर पर 2000 रुपये एवं रिफंडेबल के रूप में आरटीजीएस के तहत 5000 रुपये से लेकर 10000 रुपये तक मांग रहे हैं। इसके लिए क्यूआर कोड को व्हाट्सएप माध्यम से भेज कर लोगों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। सूचना के आधार पर एसटीएफ की टीम ने छापा मारकर मौके से तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, उनके कब्जे से एक लैपटॉप 13 मोबाइल फोन, 6 पासबुक, 4 सिम कार्ड व अन्य सामान बरामद हुआ है,गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों में निशात शर्मा पुत्र विनोद शर्मा निवासी एच 111 कुंवर सिंह नगर, नागलोई, दिल्ली, टुनटुन कुमार पुत्र रविंद्र राम निवासी ग्राम बिरजू मिल्की थाना हरनौत नालंदा बिहार और मेघा शर्मा पुत्री राहुल शर्मा निवासी सुल्तानपुरी नागलोई दिल्ली हैं।
सबसे पहले फेसबुक में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना तथा मुद्रा लोन के बारे में विज्ञापन को अपलोड किया जाता था फिर फर्जी नंबर से लोगों को कॉल की जाती थी। जिन लोगों को लोन की जरूरत होती वे लोग इन नंबरों पर बात करते थे और ये ठग लोन लेने के इच्छुक व्यक्ति से उसका आधार कार्ड, बैंक डिटेल और छोटी मोटी संपत्ति की जानकारी मांगते थे। जब लोगों को यकीन हो जाता था कि उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से लोन मिल जाएगा तो फिर ये ठग उनसे प्रोसेसिंग फीस और इंश्योरेंस के नाम पर पहले 2000 लेते थे। फिर उन्हें मैसेज किया जाता कि आपका लोन स्वीकृत हो चुका है।
इसके बाद लोन की किस्त देने की एवज में उन लोगों से 5200 रुपए से लेकर 10200 रुपए तक रिफंडेबल पेमेंट बताकर फर्जी मोबाईल नंबरों के व्हाट्सएप से क्यूआर कोड भेज कर धोखाधड़ी की जाती थी, लोन लेने वाले को बताया जाता था कि रिफंडेबल 45 दिन बाद होगा, कुछ समय बाद वे अपने नंबर बदल देते थे। धोखाधड़ी से प्राप्त की जाने वाली धनराशि के लिए इनके द्वारा कुछ गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर उनसे फर्जी खाते खुलवाए गए तथा उन खातों की एटीएम और पासबुक अपने पास रख लिया गया।

जब उन खातों में किसी व्यक्ति के साथ इनके द्वारा धोखाधड़ी कर रकम ली जाती थी तो ये उन खातों को बंद कर देते थे। इनके द्वारा जरूरतमंद लोगों से 5000 रुपए से लेकर 10000 रुपए में खाते में खुलवाए उन खातों के माध्यम से कई लोगों से धोखाधड़ी की गई है जिसकी आगे जांच की जा रही है। संपूर्ण कार्यवाही एव अभियुक्तों की गिरफ्तारी एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक नरेंद्र पंत के नेतृत्व में निरीक्षक प्रदीप राणा की टीम ने की है।

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