देहरादून
उत्तराखंड में निजी अस्पताल अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में भारी गड़बड़ी कर रहे हैं ऐसी शिकायतें मिल रही हैं, जिसे तुरंत संज्ञान लेकर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक-क्लेम मैनेजमेंट डा. वीएस टोलिया ने समस्त सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों को नोटिस जारी किया है, निजी अस्पताल डायग्नोस्टिक लैब को आउटसोर्स बताकर मरीजों से जांच के नाम पर मोटा पैसा वसूल रहे हैं, जबकि आम आदमी को लगता है कि आयुष्मान कार्ड होने के बाद वो आसानी से निजी अस्पताल में अपना इलाज करा सकते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नही है, निजी अस्पताल मरीज को भर्ती करते ही उसकी बहुत सारी जांचे नकद पैसे लेकर करवा रहे हैं कि इन जांचो की रिपोर्ट देहरादून भेजी जाएगी उसके बाद एप्रूवल आएगा फिर जाकर आपका इलाज फ्री में किया जायेगा, उसके बाद दो तीन तक मरीज को अस्पताल में कैश पेमेंट लेकर लूटा जा रहा है, तीन दिन बाद मरीज को आयुष्मान काउंटर पर भेजा जाता है और वहाँ भी उसका उत्पीड़न किया जाता है यदि किसी ने वहाँ बहस की तो बेड खाली न होने का हवाला देकर मरीज को फिर से कैश पेमेंट में निजी वार्ड में भर्ती करवा दिया जाता है, इसके बाद गंभीर ऑपरेशन वाले मरीजों को भी ये कहकर डिस्चार्ज किया जाता है कि इससे ज्यादा नही रख सकते, इसके बाद हर विजिट पर मरीज से यह कहकर पैसा लिया जा रहा है कि अस्पताल से डिस्चार्ज करने के बाद आयुष्मान कार्ड एप्लाई नही होता है।
ऐसी शिकायतें मिलने पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक-क्लेम मैनेजमेंट डा. वीएस टोलिया ने समस्त सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों को नोटिस जारी किया है।जारी नोटिस में कहा गया है कि योजना के लाभार्थियों से धनराशि की मांग करना राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण एवं चिकित्सालय के बीच हुए अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों में चिकित्सालय पर अवैध रूप से ली गई धनराशि के सापेक्ष अर्थदंड का भी प्रावधान है। ऐसे में अस्पताल अनुबंध की नियम व शर्तों के आधार पर योजना के लाभार्थियों को निःशुल्क उपचार प्रदान किया जाना सुनिश्चित करें।
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत राज्य में 55.16 लाख लोगों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। योजना के तहत 102 राजकीय व 152 निजी चिकित्सालय सूचीबद्ध हैं।आयुष्मान कार्ड धारक के अस्पताल में भर्ती होने पर उसका उपचार पूर्णतः निःशुल्क किया जाता है। किसी भी बीमारी के निर्धारित पैकेज में रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी जांच भी शामिल रहती हैं। यही नहीं, मरीज को डिस्चार्ज होने पर 15 दिन की दवाएं भी मुफ्त देने की व्यवस्था है।