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कुदरत का कहर- जोशीमठ में भू धसाव का खतरा, भीषण ठंड में घर बार छोड़ राहत शिविरों में रात काटने को मजबूर लोग

उत्तराखंड/जोशीमठ 

 

 

जोशीमठ में लगातार भू धंसाव जारी है, दो होटलों समेत 800 से अधिक मकान दुकान व खाली जगहों पर दरारें आ चुकी हैं , जन आंदोलन के दबाव में प्रशासन ने एनटीपीसी की निर्माणाधीन तपोवन विष्णु गाड़ जल विद्युत परियोजना व हेलंग मारवाड़ी बाईपास सहित नगर में नव निर्माण पर रोक लगा दी है। प्रभावित क्षेत्रो का दौरा भू वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है वैज्ञानिकों की टीम अधिकारियों के साथ जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र में मामले का जायजा ले रही है। 43 परिवारों को राहत कैंप में रखा गया है।
गढवाल कमिश्नर सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रन्जीत कुमार सिन्हा, आपदा प्रबंधन के अधिशासी अधिकारी पीयूष रौतेला, एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट रोहितास मिश्रा,भू वैज्ञानिक सांतुन सरकार, आईआईटी रूडकी के प्रोफेसर डा.बीके माहेश्वरी सहित तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम जोशीमठ पहुंची है। गढवाल कमिश्नर एवं आपदा प्रबंधन सचिव ने तहसील जोशीमठ में अधिकारियों की बैठक लेते हुए स्थिति की समीक्षा की। विशेषज्ञों की टीम द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का विस्तृत सर्वेक्षण किया जा रहा है। टीम ने एनटीपीसी की टनल में भी जाकर उसके पानी का सेंपल लिया है । अभी भी भवनों का दरकना जारी है । नवंबर 2021 में यहां मकानों वह जमीन में दरारें आनी शुरू हुई थी , तब इसे सामान्य भू धंसाव माना गया,  2022 में वैज्ञानिकों ने सर्वेक्षण कर इसके लिए भारी निर्माण, पानी सीवर निकासी न होने को जिम्मेदार मानते हुए सरकार को सुझाव दिए थे। परंतु इन सुझावों पर कोई अमल नहीं हुआ। अब स्थिति यह है की हाड़ कंपाने वाली ठंड में प्रभावित लोग मासूम बच्चों, बुजुर्गों व बीमारों के साथ राहत शिविरों में रात काटने को मजबूर हैं।

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