Chmoli news, चमोली गढ़वाल
चमोली जिले के गैरसैंण ब्लाक अंतर्गत आने वाला एक गांव लखण सरकारी अनदेखी का शिकार है, इस अनदेखी के चलते गांव के सभी लोग पलायन करने को मजबूर हैं, इस गांव में ना तो सड़क है, ना ही कोई स्कूल ना ही स्वास्थ्य केंद्र, यह गांव उत्तराखंड बनने के बाद से आज तक उपेक्षित रहा है यहां के लोगों की समस्या यह है कि वह बच्चों को कहां स्कूल पढ़ाएं कहां बीमार लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराएं और कैसे रोजी-रोटी का इंतजाम हो, लोग पलायन कर प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर किराए के मकानों में रहकर अपनी रोजीरोटी चला रहे हैं, जो लोग नजदीक में रह रहे हैं वो तो हफ्ते 15 दिन या महीने भर में जाकर अपने गांव की देखभाल करते हैं अपने खेत खलियान को देखते हैं लेकिन जो लोग दूर जाकर बस गए हैं उनके लिए जल्दी जल्दी गांव आना संभव नहीं है, ग्रामीणों की मानें तो उत्तराखंड बनने के बाद से आज तक उनके गांव की उपेक्षा हुई है कोई भी सरकारी अधिकारी आज तक इस गांव में नहीं पहुंचा, जबकि उत्तराखंड बनने के बाद जितनी भी सरकारें आजतक बनी हैं उन्होंने गांव गांव जाकर अधिकारियों से जन समस्याएं सुनने के लिए सर्कुलर जारी किए हैं, बावजूद इसके कोई भी अधिकारी इस गांव तक नहीं पहुंचा। उत्तराखंड में ऐसे और भी कई गांव हैं जो अब मानव विहीन हो चुके हैं। चुनाव के समय नेता बड़ी-बड़ी बातें कर इन भोले भाले लोगों को बरगला कर वोट तो ले लेते हैं लेकिन इनकी सुविधाओं के लिए करते कुछ नही, यह ग्रामीण अपनी सुनवाई किस के आगे करें क्योंकि इनके लिए इनका जनप्रतिनिधि ही सब कुछ है लेकिन जनप्रतिनिधि वोट लेने के बाद वापस इन गांवों की तरफ नहीं जाते, ऐसे और भी कई गांव हैं जिनके बारे में हम पहले भी आपको बताते रहे हैं।
लखण गांव में इस बार गर्मियों की छुट्टी के दौरान चहल-पहल नजर आई, यहां के लोगों ने एक देवी मंदिर का निर्माण कर गांव में एकजुट होने की कोशिश की लेकिन दिल्ली, मुंबई समेत बड़े शहरों से यहाँ पहुंचे लोगों के लिए इस गांव तक पहुंचना अंतरिक्ष में पहुंचने से कम नहीं रहा, क्योंकि इस गांव तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।
और संसाधनों का भारी अभाव है, कई बार ऐसी खबरें भी प्रसारित हुई है कि इस गांव में अब कोई रहता ही नहीं लेकिन सच्चाई कुछ और है गांव के लोग गांव में आते जाते रहते हैं लेकिन उनके आगे मजबूरी क्या है वो हम आपको पहले ही बयां कर चुके हैं रोजी-रोटी का संकट स्वास्थ्य की परेशानी बच्चों की शिक्षा और भविष्य को लेकर चिन्ता, अब इस गांव में रहने वाले लोगों ने यह मन बनाया है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का वो बहिष्कार करेंगे, गावँ के लोग जहाँ कहीं भी बसे हैं वो वहां अपने वोट का इस्तेमाल नही करेंगे, यदि लोगों को उनकी मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जाता है तो फिर उन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुनने का कोई हक नहीं, वह लोग जैसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं वैसे ही सही हैं, वैसे भी हिंदुस्तान में सरकारें तो बनती हैं लेकिन 40% लोग ही मतदान करते हैं अब यदि सरकारों द्वारा ग्रामीणों की या दूरस्थ गांव की इस तरह से उपेक्षा की जाएगी तो फिर ग्रामीणों के पास इसके अलावा कोई चारा भी नही, उम्मीद करते हैं कि सरकार इस तरफ ध्यान देगी और लखन गांव में फिर से खुशहाली नजर आएगी ।
यहाँ के लोगों नें ये भी बताया कि उन्होंने गांव के विकास के संबंध में एक RTI मांगी थी जिसका जबाब ये मिला। स्थानीय लोगों नें बताया की RTI के जबाब में लोक सूचना अधिकारी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी देवपुरी, विकास खंड गैरसैंण द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक एक सीसी मार्ग कालापातल से लखण तक का निर्माण किया गया है, जो की असत्य है इस तरह के कई काम जो की सिर्फ कागज़ो में किए गए होंगे उनकी जाँच होनी चाहिए।