नैनीताल
जमरानी बांध मामले में दायर अवमानना याचिका पर उच्च न्यायालय में जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ में सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेशित किया कि सुनवाई की अगली तिथि 3 मई तक बांध के निर्माण के लिए आवश्यक अनुमतियों की वर्तमान स्थिति एवं प्रगति की विस्तृत रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे।
पूर्व में गौलापार निवासी याची रविशंकर जोशी द्वारा नवंबर 2017 में माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर यह प्रार्थना की गई थी कि जमरानी बांध निर्माण शीघ्र किया जाय। यह परियोजना सन् 1975 से सरकारी लापरवाही के कारण लंबित थी, जबकि इस योजना के बनने से हल्द्वानी सहित आज पास के क्षेत्र की पेयजल समस्या का समाधान हो जाता और बहुत बड़े क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो जाती। साथ ही बाढ़ की समस्या से भी निजात मिलती। नवंबर 2018 में उक्त जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को आदेशित किया गया था कि 06 माह में सभी औपचारिकताएं पूरी करते हुए तीन साल के अंदर बांध निर्माण का कार्य किया जाए।
लंबे समय तक बांध निर्माण पर कोई कार्यवाही नहीं होने पर “नवंबर 2019 में रविशंकर जोशी द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष अवमानना याचिका डाली गई”। अवमानना याचिका में सरकार द्वारा पूर्व में अवगत कराया गया की कुछ अनुमतियां मिल गई हैं परंतु कुछ अभी भी लंबित हैं। इस बहुउद्देशीय परियोजना में विद्युत उत्पादन भी जोड़ा गया है। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उक्त मामले में गंभीरता दिखाते हुए जनहित में उक्त बहुउद्देश्यीय परियोजना को शीघ्र सुचारू करने को आदेशित किया गया था।
अब माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेशित किया कि वह बांध के निर्माण के लिए आवश्यक अनुमतियों की वर्तमान स्थिति एवं प्रगति रिपोर्ट को 03 मई तक न्यायालय में पेश करे।