हल्द्वानी
अशोक विहार तीन पानी में चल रही शिव महापुराण कथा के 9वें दिन पूज्य व्यास कृष्णा नन्द शास्त्री जी महाराज ने अपनी अमृत वाणी ने कथा सुनने पहुंचे लोगों को मन्त्र मुग्ध कर दिया, उन्होंने मनुष्य जीवन के उद्देश्य, दान का महत्त्व सेवा का महत्त्व समेत शिव भगवान की अलौकिक लीलाओं का वर्णन अपने मुखार बिंदु से किया।
दान के महत्त्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि दान करने से व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ होते हैं, दान करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है, जो उसके भविष्य में उसकी आत्मा की शुद्धि और सुख के लिए मदद करता है।
दान करने से व्यक्ति को आत्म-संतुष्टि मिलती है, जिससे वह अपने जीवन में सुख और शांति महसूस करता है।
दान करने से व्यक्ति समाज की सेवा करता है, जिससे वह अपने समाज के लोगों की मदद कर सकता है।
दान करने से व्यक्ति अपने कर्म की पूर्ति करता है, जिससे वह अपने जीवन में आगे बढ़ सकता है।
दान करने से व्यक्ति भगवान की कृपा प्राप्त करता है, जिससे वह अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि
धन दान करने से व्यक्ति अपने धन का उपयोग दूसरों की मदद के लिए कर सकता है।
समय दान करने से व्यक्ति अपने समय का उपयोग दूसरों की मदद के लिए कर सकता है।
ज्ञान दान करने से व्यक्ति अपने ज्ञान का उपयोग दूसरों की मदद के लिए कर सकता है।
श्रम दान करने से व्यक्ति अपने श्रम का उपयोग दूसरों की मदद के लिए कर सकता है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन का उद्देश्य अपने आप को जानना और समझना। अपने और अपने परिवार के लिए सुख और समृद्धि प्राप्त करना। धर्म के सिद्धांतों का पालन करना और नैतिक जीवन जीना। ज्ञान प्राप्त करना और व्यक्तिगत विकास करना।
दूसरों की सेवा करना और समाज में सहयोग करना। आत्म-मुक्ति प्राप्त करना और मोक्ष की प्राप्ति करना। प्रेम और संबंध बनाना और उनका निर्वाह करना। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना।
जीवन में आनंद और संतुष्टि प्राप्त करना। भगवान की कृपा प्राप्त करना और उनकी इच्छा के अनुसार जीवन जीना।
उन्होंने बताया मनुष्य को अपने जीवन में इन मूल्यों का पालन करना चाहिए।
1. सत्य और निष्ठा
2. करुणा और दया
3. सहनशीलता और धैर्य
4. आत्म-नियंत्रण और अनुशासन
5. जिम्मेदारी और नैतिकता
6. प्रेम और सहयोग
7. ज्ञान और विकास
8. सेवा और त्याग
इन का पालन करके, मनुष्य अपने जीवन को अर्थपूर्ण और सार्थक बना सकता है।
अपनी कथा के दौरान पूज्य व्यास जी ने सेवा का महत्त्व बताया, सेवा करने से मनुष्य केवल दूसरों की मदद ही नही, बल्कि अपने जीवन को भी समृद्ध बनाता है,उन्होंने कहा सेवा करने से हम दूसरों की मदद कर सकते हैं, जो उनके जीवन में सुख और समृद्धि ला सकती है।
सेवा करने से हमें आत्म-संतुष्टि मिलती है, जो हमारे जीवन में सुख और शांति लाती है।
सेवा करने से हम समाज की उन्नति में योगदान कर सकते हैं, जो हमारे देश और समाज के विकास में मदद करता है।
सेवा करने से हम भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, जो हमारे जीवन में सुख और समृद्धि लाती है।उन्होंने सेवा के निम्न प्रकारों का जिक्र किया।
1. शारीरिक सेवा
2. मानसिक सेवा
3. आर्थिक सेवा
4. शैक्षिक सेवा
5. सामाजिक सेवा
6. धार्मिक सेवा
7. पर्यावरणीय सेवा
कथा के दौरान उन्होंने ताड़कासुर वध की कथा का भी बखान किया, उन्होंने बताया कि भगवान शिव की पत्नी पार्वती ने अपने पुत्र कार्तिकेय को ताड़का का वध करने के लिए भेजा। कार्तिकेय ने अपने वाहन मयूर पर चढ़कर ताड़का के साथ युद्ध किया और उसे पराजित कर दिया।
ताड़का के तीन पुत्र थे, सुबाहु, मारीच और ताराक। कार्तिकेय ने उन्हें भी पराजित किया और उन्हें मार डाला।
ताड़का के वध से वन के जीवों को मुक्ति मिली और वे अपने जीवन को शांति से जीने लगे। कार्तिकेय की विजय के कारण उन्हें “ताड़कासुरघ्न” या “ताड़कासुर वधकर्ता” भी कहा जाता है।
इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवान की शक्ति और साहस से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं और विजय प्राप्त कर सकते हैं।
शिव ज्योतिर्लिंगों की महिमा बहुत अधिक है, ये हिंदू धर्म में पवित्र और महत्वपूर्ण स्थल हैं। शिव ज्योतिर्लिंगों को भगवान शिव के पवित्र रूप माना जाता है, जहां उनकी शक्ति और ज्योति का अनुभव किया जा सकता है।
शिव ज्योतिर्लिंगों की विशेषताएं:
1. पवित्र स्थल: शिव ज्योतिर्लिंगों को हिंदू धर्म में पवित्र स्थल माना जाता है, जहां भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है।
2. शक्ति और ज्योति: शिव ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव की शक्ति और ज्योति का अनुभव किया जा सकता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है।
3. आत्म-शुद्धि: शिव ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करने से भक्तों की आत्म-शुद्धि होती है, जिससे वे अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
4. मोक्ष प्राप्ति: शिव ज्योतिर्लिंगों की पूजा और आराधना करने से भक्तों को मोक्ष प्राप्ति की प्राप्ति होती है, जिससे वे अपने जीवन को अर्थपूर्ण और सार्थक बना सकते हैं।
शिव ज्योतिर्लिंग
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
4. ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)
8. त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)
12. गृश्नेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
शिव महापुराण कथा के नोवे दिन भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी , अशोक विहार के लोगों के अलावा अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भी भारी संख्या में पहुंचकर कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित किया, कथा के बाद दिब्य आरती, चरनामृत, प्रसाद के साथ लोगों ने अपने अपने घरों को प्रस्थान किया, शिव महापुराण कथा का समापन और भण्डारा 14 नवम्बर को होना है, जिसके लिए पूज्य ब्यास कृष्णा नन्द शास्त्री महाराज ने लोगों से अधिक से अधिक संख्या में कथा स्थल पहुंचने की अपील की।